क्या आप जानते हैं हमारे राष्ट्रगान का संपूर्ण पद
हमारा देश भारत का राष्ट्रगान "जन -गण- मन" वास्तव में कितना लंबा है, उसका संपूर्ण भाग कुछ ही लोग जानते हैं । अधिकतर लोग यह जानते हैं कि राष्ट्रगान केवल 52 सेकंड में गाया जाने वाला गान है, जिसे बांग्ला भाषा के कवि गुरु रवींद्र नाथ टैगोर ने लिखा है और जिसे 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन झंडोत्तोलन के दौरान गाया जाता है। वास्तव में इस गान के कुल 5 पद हैं। इसका एक पद स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा झंडा फहरा कर गाया जाता है। साथ ही कुछ अन्य विशेष अवसरों पर गाया जाता है। आज आप "जन -गण- मन" के संपूर्ण पद नीचे पढ़ने वाले हैं।
राष्ट्रगान "जन- गण- मन" का संपूर्ण पद
जन- गण -मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग ।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशीष मांगे
गाहे तव जय गाथा।
जन- गण- मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।।1।।
अहरह तव आह्वान प्रचारित,
शुनि तव उदार बाणी
हिन्दू बौद्ध शिख जैन पारसिक
मुसलमान खृष्टानी
पूरब पश्चिम आसे
तव सिंहासन पाशे
प्रेमहार हय गांथा।
जन -गण ऐक्य विधायक जय हे
भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।। 2।।
पतन अभ्युदय वन्धुर पन्था,
युग-युग धावित यात्री।
हे चिरसारथी तव रथचक्रे,
मुखरित पथ दिनरात्रि।
दारुण विप्लव माझे,
तब शंखध्वनि बाजे,
संकटदुःखत्राता ।
जन -गण पथ परिचायक जय हे
भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।।3।।
घोरतिमिरघन निविड़ निशीथे
पीड़ित मूर्छित देशे,
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल
नतनयने अनिमेषे।
दुःस्वप्ने आतंके
रक्षा करिले अंके
स्नेहमयी तुमि माता।
जनगणदुःखत्रायक जय हे
भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।।4।।
रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि
पूर्व- उदयगिरि भाले,
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण
नवजीवनरस ढाले।
तव करुणारुणरागे
निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा।
जय जय जय हे जय राजेश्वर
भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।।5।।
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