राष्ट्रगान जन- गण- मन के कुछ रोचक तथ्य
जन- गण- मन के 20 रोचक तथ्य जिसे आप इस लेख में पढ़ने वाले हैं और जानने वाले हैं, बड़े ज्ञानवर्धक हैं। तो चलिए जन- गण- मन के इन रोचक तथ्यों के ज्ञान के सागर में जरा डुबकी लगाते हैं।
1) राष्ट्रगान जन- गण- मन के लेखक हैं गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर।
2) जन- गण- मन संपूर्ण गान बांग्ला भाषा में लिखा गया है।
3) इसे लिखने में अधिकतर बांग्ला साधु भाषा का प्रयोग किया गया है, जिसे हिंदी में तत्सम शब्द कहते हैं।
4) इस गान के कुल 5 पद हैं। जिसका पहला पद को राष्ट्रगान के रूप में भारतीय संविधान ने अपनाया।
5) यह एक ऐसा गीत है जो भारत के इतिहास और परंपरा को दर्शाता है और देश को उसकी पहचान देता है।
6) भारत के संविधान सभा ने जन- गण- मन को राष्ट्र गान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था।
7) लेकिन इसे रवींद्र नाथ टैगोर ने 1905 में लिखा था।
8) 27 दिसंबर 1911 को पहली बार कोलकाता में राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था।
9) राष्ट्रगान जन- गण- मन को गाने में 52 सेकंड का समय लगता है।
10) लेकिन इसका लघु संस्करण को गाने में लगभग 20 सेकड समय लगता है।
11) जन- गण- मन का लघु संस्करण इस प्रकार है-
जन- गण- मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता ।
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे।
12) राष्ट्रगान के बोल और संगीत दोनों रवींद्र नाथ टैगोर के हैं।
13) राष्ट्रगान को गाते या बजाते समय सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाना चाहिए।
14) यदि किसी चलचित्र के भाग के रूप में राष्ट्रगान को किसी समाचार की गतिविधिया संक्षिप्त चलचित्र के दौरान बजाया जाए तो श्रोताओं से अपेक्षित नहीं हैं वे खड़े हो जाएं।
15) राष्ट्रगान को गाते या बजाते समय किसी अनुचित गतिविधि में संलग्न नहीं होना चाहिए।
16) इसे बाद में आबिद अली ने हिंदी और उर्दू में अनुवाद किया।
17) राष्ट्रगान का अपमान करने का अर्थ है देश के सम्मान और गौरव के साथ खिलवाड़ करना। ऐसा करने वालों के लिए उचित दंड की व्यवस्था भी है।
18) प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टु नेशनल ऑनर एक्ट 1971( राष्ट्रीय सम्मान को ठेस पहुंचने से रोकने के लिए कानून 1971) के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
19) ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर जुर्माने के साथ 3 साल की कैद का प्रावधान है।( राष्ट्रगान के अपमान के लिए प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टु नेशनल ऑनर एक्ट 1971 की धारा 3 के तहत)
20) राष्ट्रगान के लिए कभी भी अशोभनीय शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जन गण मन के संपूर्ण पद पढ़ने के लिए क्लिक करें
राष्ट्रगान का अर्थ-
जन- गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्य विधाता है ।
उनका नाम सुनते ही पंजाब, सिंधु, गुजरात और मराठा, द्राविड़, उत्कल व बंगाल एवं विंध्य हिमाचल व यमुना और गंगा पर बसे लोगों के हृदयों और मनों में जागृति की तरंगे भर उठती हैं।
सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठते हैं, सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाषा रखते हैं और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करता हैं।
जन गण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्य विधाता,
जय हो जय हो जय हो, तेरी सदा सर्वदा जय हो।
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