Class 6 Hindi Path 1 "Veer Tum Badhe Chalo"
वीर तुम बढ़े चलो
कविता और उसके भावार्थ:-
1) वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
हाथ में ध्वजा रहे, बाल दल सजा रहे,
ध्वज कभी झुके नहीं, दल कभी रुके नहीं,
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
भावार्थ :- प्रस्तुत पद्यांश द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित "वीर तुम बढ़े चलो" शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने वीरों को संबोधित करते हुए कहा है कि हे वीर! तुम निरंतर आगे बढ़ते रहो । हे धैर्य धारण करने वाले वीर तुम सदा प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते रहो। तुम्हारे हाथ में नेतृत्व करने वाला देश का ध्वज रहे। छोटे-छोटे बाल दल सजे हुए रहे। कभी भी यह ध्वज नहीं झुकना चाहिए और बाल दल को कभी भी नहीं रुकना चाहिए । वीर तुम आगे बढ़ते चलो।
2) सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो,
तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं,
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
भावार्थ:- प्रस्तुत पद्यांश द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित "वीर तुम बढ़े चलो" शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि अगर सामने पहाड़ रूपी बाधा रहे और सिंह दहाड़ कर डराने का प्रयास करे फिर भी तुम्हें डरना नहीं चाहिए। निडर होकर डट कर उस बाधा को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। वीर तुम आगे बढ़ते चलो। धीर तुम आगे बढ़ते चलो ताकि प्रगति का मार्ग कभी न रुके।
3) मेघ गरजते रहें, मेघ बरसते रहें,
बिजलियाँ कड़क उठें, बिजलियाँ तड़क उठें,
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
भावार्थ :- प्रस्तुत पद्यांश द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित "वीर तुम बढ़े चलो" शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि हे वीरों तुम्हें अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने और देश का गौरव बनाए रखने के लिए गरजते और बरसते हुए बादलों के सामने निरंतर संघर्ष क्यों न करना पड़े, कड़कती और तड़कती बिजलियाँ रूपी विषम परिस्थितियाँ मिले, उन सबका डटकर मुकाबला करते हुए वीर तुम आगे बढ़ते चलो, धीर तुम आगे बढ़ते चलो।
4) प्रातः हो कि रात हो, संग हो न साथ हो,
सूर्य से बढ़े चलो, चंद्र से बढ़े चलो,
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
भावार्थ :- प्रस्तुत पद्यांश द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित "वीर तुम बढ़े चलो" शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि वीरों को प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि चाहे दिन हो या रात का समय क्यों न हो, किसी का आश्रय मिले या साथ न मिले, तुम निरंतर सूर्य और चंद्रमा की कलाओं की भांति अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु प्रयासरत रहते हुए वीर तुम आगे बढ़ते चलो, धीर तुम आगे बढ़ते चलो।
5) एक ध्वज लिए हुए, एक प्रण किए हुए,
मातृभूमि के लिए, पितृभूमि के लिए,
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
भावार्थ :- प्रस्तुत पद्यांश द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित "वीर तुम बढ़े चलो" शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि वीरों को प्रोत्साहित करते हुए कहते हैं कि एक राष्ट्रधज हाथ में लेकर और एक प्रतिज्ञा करते हुए कि अपनी मातृभूमि और पितृभूमि के मान सम्मान के लिए मार्ग में आने वाली बाधाओं को डटकर सामना करेंगे। इसी कार्य को करने में प्रयासरत रहते हुए वीर तुम आगे बढ़ते चलो, धीर तुम आगे बढ़ते चलो।
6) अन्न भूमि में भरा, वारि भूमि में भरा,
यत्न कर निकाल लो, रत्न भर निकाल लो,
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
भावार्थ :- प्रस्तुत पद्यांश द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित "वीर तुम बढ़े चलो" शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि मातृभूमि की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि हमारी मातृभूमि रत्न, धन-धान्य, हवा- पानी आदि अनेक सुख- सुविधाओं से समृद्ध है । बस हमें उसे खोजने की देर है। यदि तुम इस वैभव को प्राप्त करना चाहते हो, तो तुम्हें निरंतर प्रयास करना होगा । इसलिए देश को विकसित करने के लिए वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
प्रश्नोत्तर:-
1) कवि ने वीर कहकर किसे संबोधित करता है?
उत्तर- कभी भारतीय सपूतों को वीर कहकर संबोधित करता है।
2) कभी कौन- सा प्रण करने के लिए कहता है?
उत्तर- कवि देश के मान सम्मान की रक्षा के लिए हाथ में तिरंगा सदैव लहराता रहे। चाहे जान चली जाय, हम तिरंगे की शान को कम होने नहीं देंगे । यही प्रण करने के लिए कहता है।
3) इस कविता से हमें क्या प्रेरणा मिलती हैं?
उत्तर- इस कविता से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जितनी भी बाधाएँ आएँ, हम अपने लक्ष्य पर एकाग्रचित्त होकर डटे रहें। देश के सम्मान की रक्षा के लिए हम वीरों को धैर्य रखना चाहिए। घबराना नहीं चाहिए।
4) प्रश्न 4 का उत्तर ऊपर के भावार्थ से देखकर लिख लें।
5) इस कविता के माध्यम से कवि हमें क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर- इस कविता के माध्यम से कवि हमें संदेश देना चाहता है कि हमें बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए। उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए। देश के सम्मान की रक्षा के लिए अपने जीवन को न्योछावर कर देना है। राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करना है।
भाषा संदर्भ:-
1) दो- दो पर्यायवाची शब्द लिखें:-
क) पहाड़- पर्वत, गिरि
ख) चंद्र- शशि, चाँद
ग) सिंह- शेर, केसरी
2) विलोम शब्द लिखें:-
क) निडर - डरपोक
ख) रात - दिन
ग) वीर - कायर
3) विस्मयादिबोधक चिन्ह( ! )लगाकर पांच वाक्य बनाइए-
उत्तर- क) वाह! क्या मैच खेला है।
ख) अरे! वह कहाँ रह गया?
ग) ओह! तो यह बात है।
घ) ओह! वह नहीं रहें।
ङ) वाह! कितने सुंदर फूल हैं।
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