Class 4 Sanskrit Path 6 Subhashitani with Hindi and English Meaning
कक्षा ४ संस्कृत पाठ ६ 'सुभाषितानि' हिंदी और अंग्रेजी अर्थ के साथ
सुभाषितानि का अर्थ :-
सर्वप्रथम मैं आपको 'सुभाषितानि' का अर्थ बताना चाहूँगा। सुभाषितानि = सु + भाषितानि। 'सु' का अर्थ है - अच्छा और 'भाषितानि' का अर्थ हैै- उक्तियाँ, वचन, या बातें हैैं। इस तरह 'सुभाषितानि' का अर्थ हो गया -- अच्छी उक्त्तियाँ अर्थात सूक्तियाँ। 'सुभाषितानि' सुभाषित शब्द का बहुवचन रूप है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ऐसी बातें या उक्तियाँ जिन्हे सुंदर रूप से कही गयी हो और जिन्हें सुनकर लोगों को अच्छी सीख और प्रेरणा मिले, उन्हें सुभाषितानि कहते हैं।
सुभाषितानि
१. आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम्।
सर्वदेवनमस्कारः केशवं प्रति गच्छति।।
अर्थ- आकाश से गिरा हुआ पानी जैसे सागर में जाता है, उसी प्रकार सभी देवों को किया गया नमस्कार केशव यानी श्रीकृष्ण को जाता है।
Meaning- As the water falling from the sky goes into the ocean, similarly the salutation done to all the Gods goes to Keshav i.e. Shri Krishna.
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२. अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः ।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
अर्थ- जो सदा नम्र सुशील विद्वान एवं वृद्धों की सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल ये चारों सदा बढ़ते हैं।
Meaning- One who always serves the humble, intelligent scholar and the old, his age, knowledge, fame and strength all these four always increase.
३. येषां न विद्या न तपो न दानं
ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।
ते मर्त्यलोके भुविभारभूताः
मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।।
अर्थ - जिन लोगों के पास न तो विद्या है, न तप, न दान, न ज्ञान, न शील, न गुण और न धर्म है, वे लोग मर्त्यलोक या धरती पर भार हैं और वे मृग अर्थात जानवर की तरह विचरण करते रहते हैं।
Meaning - Those who have neither knowledge, nor austerity, nor charity, nor knowledge, no modesty, nor virtue, nor religion, they are a burden on the earth and they move like a deer, that is, an animal.
४. यद्यदाचरति श्रेष्ठः तत्तदेवेतरो जनः।
स यत् प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।
अर्थ- श्रेष्ठ व्यक्ति जैसा- जैसा आचरण करता है, अन्य लोग भी उसी प्रकार आचरण करते हैं। वह जो प्रमाण कर देता है लोग उसी के अनुरूप अनुकरण करते हैं।
Meaning- As a superior person behaves, others also behave in the same way. Whatever proof he gives, people imitate accordingly.
५. माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा।।
अर्थ- वे माता- पिता शत्रु हैं, जो अपने बच्चों को नहीं पढ़ाते हैं। क्योंकि वे बच्चें विद्वानों की सभा में शोभा नहीं पाते, जैसे कि हंसों के बीच में बगुला।
Meaning- Those parents are enemies, who do not educate their children. Because those children do not dress up in the gathering of scholars, like a heron among swans.
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