Saraswati Shishu Vidya Mandir Ki Baat Hai Niralee Bhaiya (Hindi Poem)
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर
की बात है निराली भैया
(कविता)
11
अजब - गजब की यह राज है पुरानी भैया।
स्कूल नहीं है, यह मंदिर है, सुन लें भैया,
इसके लिए गौ पशु नहीं, जान लें है मैया।
इसके लिए भू - मिट्टी नहीं, हमारी है मैया,
इसके लिए देश इण्डिया नहीं, है भारत मैया॥
2
यहाँ न है प्रिंसिपल कोई, होते हैं प्रधानाचार्य जी ,
यहाँ न है सर - मैडम कोई, हैं आचार्य जी- दीदीजी।
यहाँ न है कोई छात्र- छात्राएँ, हैं प्यारे भैया - बहन जी,
यहाँ न कहते कोई हाय- हैलो, करते प्रणाम- नमस्ते जी॥
3
एसम्बली रूम के बदले वंदना सभास्थल हैं होते,
5 मिनट का प्रेयर नहीं, 40 मिनट की वन्दना हैं करते।
रिसेस टाइम के बदले यहाँ, मध्यावकाश हमारे हैं होते,
सीधे टिफिन पर झपटा न मारकर, भोजन-मंत्र हम पहले करते।
क्लास टीचर के बदले यहाँ, कक्षाचार्य जी हैं होते,
सब्जेक्ट टीचर के बदले यहाँ, विषयाचार्य जी हैं होते।
क्लास मॉनिटर के बदले यहाँ, सेनापति भैया-बहन हैं होते,
क्लास रूम के बदले यहाँ, कक्षा-कक्ष हमारे हैं होते।
प्राक्टिकल रूम के बदले यहाँ, प्रयोगशाला में प्रयोग करते,
टाॅयलेट न जाकर सभी लघुशंका करने को हैं जाते ।
“मे आई काॅमिंग सर” न कहकर, “क्या हम अंदर आएँ श्रीमन्” हैं कहते,
टीचर्स डे न मनाते कोई, सब गुरु पुर्णिमा हैं मनाते॥
4
राजनीति न चलकर यहाँ, चलती है शिक्षा की नीति,
पश्चिमी सभ्यता के बदले यहाँ, झलकती है भारतीय संस्कृति की रीति।
मॉर्निंग साॅङ्ग के बदले सब गाते प्रातः स्मरण व प्रभाती,
भेदभाव के बदले यहाँ भावना समरसता की है होती॥
5
स्टैंड अप के बदले उत्तिष्ठ कहते हैं सब यहाँ,
सिट डाउन के बदले उपविश बोलते हैं सब यहाँ ।
सावधान- विश्राम शारीरिक में नहीं, निर्देश आरमः- दक्षः के होते यहाँ,
दाएँ मुड़- बाएँ मुड़ नहीं, दक्षिणवृतः- वामवृतः होते यहाँ।
छुट्टी पर भागने से पहले, गाते राष्ट्र गीत या विसर्जन मंत्र यहाँ,
उसके बाद घर झुंड में नहीं, निकलते पंक्ति में यहाँ ॥
6
क्यों अनुठा यह मंदिर है, अब तक तो समझ गये होंगे भैया।
अगर नहीं तो स्वागत है, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर बहरागोड़ा में आपको भैया॥
- पार्थ सारथी साउ
2 Comments
Bahat achha hai jee sir
ReplyDeleteधन्यवाद
Delete