कक्षा तृतीय के महाभारत पाठ्यपुस्तक के पाठ 10 से लिया गया "विनाश काले विपरीत बुद्धिः" का सारांश और अभ्यास (प्रश्न-उत्तर एवं रिक्त स्थान पूर्ति) नीचे प्रस्तुत है।
✨कहानी का सारांश :
युधिष्ठिर के यज्ञ की सफलता से दुर्योधन जलने लगा। द्रौपदी के व्यंग्य भरे वचनों को वह कभी भूल नहीं पाया। बदला लेने के लिए उसने पांडवों को चौपड़ खेलने हेतु बुलाया। चौपड़ के शौकीन युधिष्ठिर ने दुर्योधन के बुलावे को स्वीकार कर लिया।
सभा में शकुनि (दुर्योधन का मामा) ने युधिष्ठिर से चौपड़ खेला। शकुनि कपटी और चालाक था। उसने युधिष्ठिर को छल से एक-एक कर हारने पर मजबूर कर दिया। युधिष्ठिर ने पहले धन, फिर राज्य, भाई, स्वयं को और अंत में द्रौपदी तक को दाँव पर लगा दिया और सब हार गए।
दुर्योधन ने द्रौपदी को सभा में बुलाया। दुशासन ने उसे खींचकर सबके सामने लाया और उसका चीरहरण करने लगा। असहाय द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण को पुकारा। भगवान ने द्रौपदी की लाज बचाई। उसकी साड़ी कभी समाप्त नहीं हुई।
आखिरकार धृतराष्ट्र ने हस्तक्षेप किया और पांडवों को समझाकर इन्द्रप्रस्थ भेज दिया।
इस प्रकार "विनाश काले विपरीत बुद्धिः" अर्थात जब विनाश का समय आता है तो बुद्धि विपरीत हो जाती है — यह सिद्ध हुआ।
📘 अभ्यास
1. प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) शकुनि कौन था?
➡️ शकुनि दुर्योधन का मामा था।
(ख) युधिष्ठिर चौपड़ जैसे नाशकारी खेल में क्यों लगे?
➡️ युधिष्ठिर चौपड़ के शौकीन थे, इसलिए वे इस नाशकारी खेल में लग गए।
(ग) दुखी प्राणी की रक्षा कौन करता है?
➡️ भगवान दुखी प्राणी की रक्षा करते हैं।
(घ) दु:शासन कौन था?
➡️ दु:शासन दुर्योधन का भाई था।
(ङ) द्रौपदी की लाज किसने बचाई?
➡️ श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई।
2. रिक्त स्थान भरिए :
(क) युधिष्ठिर चौपड़ के शौकीन थे।
(ख) शकुनि दुर्योधन का मामा था।
(ग) सभा में कोलाहल मच गया।
(घ) सभा भवन में साड़ी का ढेर लग गया।

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