कक्षा 6 हिंदी पाठ 9 मानवीय रिश्ता // प्रश्नोत्तर
मानवीय रिश्ता
शब्दार्थ:-
प्रवचन = उपदेश
पोथी = छोटी पुस्तक
प्रवाचक = प्रवचन करने वाला
प्रांगण = आँगन
गरल = विष
स्नेह = प्रेम, प्यार, प्रीत
नित = रोज
सर्वधर्म = सभी धर्म
ध्येय = उद्देश्य
कर्मकांड = धार्मिक कार्य
लेशमात्र = बहुत थोड़ा
पेशेवर = जो पेशा से जुड़ा है
निशुल्क = मुफ्त
सौहार्द = सद्भाव
सुधा = अमृत
कटिबद्ध = तैयार , तत्पर
मणि = बहुमूल्य रत्न
साधक = साधना करने वाला
अनुष्ठान = नियम पूर्वक किया जाने वाला धार्मिक कार्य
उत्तर लिखें:-
1) अक्ली बुआ को देहाती भाषा में लोगों द्वारा 'पढ़ी' नहीं 'कढ़ी' अनुभवी कहने का क्या कारण था?
उत्तर- अक्ली बुआ गाँव के निपुण वैद्य की पुत्री थी। उसको औपचारिक शिक्षा तो नहीं थी, किंतु वैद्य पिता एवं विद्वान पति के संग रहने से सांसारिक ज्ञान इन्हें अच्छा प्राप्त हो गया था। देहाती भाषा में इसी कारण इन्हें लोग 'पढ़ी' नहीं 'कढ़ी' अनुभवी कहते थे।
2) "जो पंडित जी के पतरा, वह पंडिताइन के अँचरा।" अक्ली बुआ पंडित जी को आवेश में ऐसा क्यों कहती थी?
उत्तर- जब कभी भी पंडित जी से अक्ली बुआ की नोक-झोंक होती तो वे आवेश में बोल उठती थी "जो पंडित जी के पतरा, वह पंडिताइन के अँचरा" अर्थात जो कुछ आपके पत्र, पोथी में लिखा है, वह सब कुछ मेरे आँचल में ही भरा पड़ता है। आपसे मैं कम विद्वान थोड़े हूँ, पंडित जी महाराज।
3) पंडित जी की मृत्यु के बाद अक्ली बुआ का काम क्या था?
उत्तर- पंडित जी की मृत्यु के बाद अक्ली बुआ की रुचि गाँव के लोगों की सेवा, उपचार, समाज कल्याण में बढ़ गई। सुबह होते ही निकल जाती, जिसे जरूरत होता उपचार बताती, दवा देती।
4) बुआ के ऑपरेशन के समय उन्हें खून देने के लिए अस्पताल में मर्द- औरतों का जमघट क्यों लग गया?
उत्तर- बुआ के ऑपरेशन के समय उन्हें खून देने के लिए अस्पताल में मर्द- औरतों का जमघट इसलिए लग गया क्योंकि गाँव वाले को अक्ली बुआ इतना प्यार करती थीं कि लोग उन्हें अपना सगा समझते थे। अक्ली बुआ अपना खून - पसीना गाँव वालों के लिए एक करती रहती थी । गाँव वालों के लिए मानवीय रिश्ता खून के रिश्ता से कहीं अधिक है।
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