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Complete Notes and Knowledge of Hindi Letters / हिन्दी वर्ण का सम्पूर्ण ज्ञान और नोट्स

 Complete Knowledge of Hindi Letters / हिन्दी वर्ण का सम्पूर्ण ज्ञान

वर्ण ( Letters ) 



प्र॰ वर्ण किसे कहते हैं ?
उत्तर- वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं , जिसके खंड या टुकड़े नहीं किए जा सकते ।
जैसे- अ आ क ख च म आदि।
दूसरे शब्दों में, ध्वनियों को जब लिखित रूप में रखते हैं तब वे वर्ण कहलाते हैं
प्र॰ वर्णमाला किसे कहते हैं?
उत्तर- वर्णों के पूरे समूह को वर्णमाला कहते हैं । वर्णों की वर्णमाला
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र व श ष स ह
क्ष त्र ज्ञ
प्र॰ वर्णों को मूल रूप से कितने भागों में बाँटते हैं ?
उत्तर- वर्णों को मूल रूप से दो भागों में बाँटते हैं। ( 1 ) स्वर वर्ण और ( 2 ) व्यंजन वर्ण ।
प्र॰ स्वर वर्ण किसे कहते हैं?
उत्तर - स्वर वर्ण हम उस वर्ण को कहते हैं जिसे बोलने में हमें किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं लेनी पड़ती ।  अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ 
ये सभी स्वर वर्ण कहलाते हैं ।
प्र॰ स्वर वर्णों की संख्या कितनी है और इनके कितने भेद है?
उत्तर- स्वर वर्णों की संख्या 11 है और इनके  तीन भेद हैं-
( i ) ह्रस्व स्वर ( ii ) दीर्घ स्वर( iii ) प्लुत स्वर
प्र॰ ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं? और इनकी संख्या कितनी है ?
उत्तर- जिन स्वरों के उच्चारण में कम से कम समय लगे , ह्रस्व स्वर कहलाते हैं ।इनकी संख्या 4 है- अ , इ , उ , ऋ ।( ' ऋ'विशेष रूप से स्वर है । ' ऋ ' के उच्चारण में यह ध्वनि व्यंजन सदृश सुनाई पड़ती है पर वास्तव में यह इसका अपभ्रंश है । उत्तर भारत में यह ' ऋ ' और दक्षिण भारत में रू ' पढ़ा जाता है । पर यह दोनों मूल उच्चारण से भिन्न है । मूल उच्चारण स्वर वर्ण के सदृश था जो अब विलुप्त हो चुका है । )
प्र॰ दीर्घ स्वर किसे कहते हैं? और इनकी संख्या कितनी है ?
उत्तर - जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दुगुना समय लगे । वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं । इनकी संख्या 3 है- आ , ई , ऊ ,।
प्र॰ प्लुत स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर- जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तिगुना समय लगे । वे प्लुत स्वर कहलाते हैं । इसका चिह्न ( ऽ ) होता है । दूर से किसी को बुलाने के लिए इस स्वर का प्रयोग होता है । जैसे -
हे ऽऽऽ मोहन , ओऽऽऽम् ।
प्र॰ व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं? और इनकी संख्या कितनी है ?
उत्तर- जिस वर्ण के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता ली जाए , उसे व्यंजन वर्ण कहते हैं । जैसे- के, ख, च, ट, प आदि।
इनकी संख्या 33 हैं।
प्र॰ व्यंजन वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- व्यंजन वर्ण तीन प्रकार के होते हैं- ( 1 ) स्पर्श व्यंजन ( 2 ) अंत : स्थ व्यंजन ( 3 ) ऊष्म व्यंजन।
प्र॰ स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं ,इनकी संख्या कितनी है और इन्हें कितने वर्गों में बांटा गया है?
उत्तर- जिन वर्णों के उच्चारण में मुख के अंदर के दाँत , ओष्ठ ( होंठ ) तालु , मूर्द्धा का जिह्वा से स्पर्श होता है यानी मुख के विभिन्न उच्चारण स्थानों का स्पर्श होता है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं । ये कुल पच्चीस होते हैं ।इन्हें 5 वर्गों में बांटा गया है-
क वर्ग- क ख ग घ ङ
च वर्ग-  च छ ज झ ञ
ट वर्ग-  ट ठ ड ढ ण
त वर्ग-  त थ द ध न
प वर्ग- प फ ब भ म
प्र॰ अन्त:स्थ वर्ण किसे कहते हैं? किन वर्णों को अन्त:स्थ वर्ण कहते हैं?
उत्तर- जिन वर्णों के उच्चारण में वायु मुँह के अंदर ही रह जाती है , बाहर नहीं निकलती । वायु अंदर स्थित रहने के कारण इसे अन्तःस्थ वर्ण कहते हैं ।। ये चार होते हैं ।
य , र , ल , व को अन्त:स्थ वर्ण कहते हैं ।
प्र॰ ऊष्म वर्ण किसे कहते हैं? किन वर्णों को ऊष्म वर्ण कहते हैं?
उत्तर- जिन वर्णों के उच्चारण करते समय मुख से ऊष्म( गर्म) वायु बाहर निकलती है उन्हें ऊष्म वर्ण कहा जाता है । ये चार होते हैं ।  श , ष , स , ह को ऊष्प वर्ण कहते हैं ।
प्र॰ संयुक्त वर्ण किसे कहते हैं?
उत्तर-  जिन वर्णों का निर्माण दो वर्णों के मेल से हुआ है । उन्हें  संयुक्त वर्ण कहते हैं।
क्ष , त्र , ज्ञ , श्र संयुक्त वर्ण कहलाते हैं ।ये स्वतंत्र वर्ण नहीं हैं । जैसे  क् + ष = क्ष,  त् + र = त्र ,  ज् + ज = ज्ञ , श् + र = श्र
प्र॰- ड़ और ढ़ कैसे वर्ण हैं?
उत्तर- कुछ वर्ण ऐसे हैं , जो भाषा विज्ञान के अन्तर्गत वर्णों में सम्मिलित किए गए हैं , पर स्वतंत्र वर्ण नहीं हैं । ये हैं - ड़ और ढ़। इनकी संख्या दो है । यह नया वर्ण है । इन्हें नए टवर्गीय व्यंजन कहते हैं ।
प्र॰ आयोगवाह किसे कहते हैं ?
उत्तर- व्यंजन वर्ण के उच्चारण में सहायता लिये गए स्वर वर्ण का क्रम बाद में आता है । जैसे -क् + अ= क, परन्तु कुछ व्यंजन ऐसे हैं जिनके उच्चारण के पहले 'अ' का उच्चारण होता है
उन्हें आयोगवाह कहते हैं । अं ( अनुस्वार ) और अः ( विसर्ग ) दो अयोगवाह होते हैं ।  इनका ' अ ' के साथ योग होता है । ये  न तो पूरे - पूरे स्वर है और न ही व्यजंन ।
प्र॰ हिन्दी वर्णमाला में वर्णों की कुल संख्या कितनी होती है?
उत्तर- हिन्दी वर्णमाला में वर्णों की कुल संख्या 52 होती है ।
प्र॰ द्वित्व व्यंजन  किसे कहते हैं?
उत्तर- जब एक जैसे दो व्यंजन एक साथ आते हैं तो वे मिल जाते हैं । वे द्वित्व व्यंजन कहलाते हैं । जैसे - त् + त = त्त , क् + क = क्क , न् + न = न्न आदि।
प्र॰ उच्चारण स्थान किसे कहते हैं?
उत्तर- मुँह के जिस भाग से वर्णों की ध्वनियों का उच्चारण होता है , इसे उच्चारण स्थान कहा जाता है । ध्वनियों का उच्चारण स्थान मूल रूप से कंठ , तालु , मूर्द्धा , दंत और ओष्ठ होता है ।
प्र॰ कंठ्य वर्ण किसे कहा जाता है?
उत्तर - जिन वर्णों का उच्चारण स्थान कंठ है उन्हें कंठ्य वर्ण कहा जाता है ।
अ , आ , क , ख , ग , घ , ङ कंठ्य वर्ण हैं ।
प्र॰ तालव्य वर्ण किसे कहा जाता है?
उत्तर - जिन वर्णों का उच्चारण स्थान तालु है उन्हें तालव्य वर्ण कहा जाता है।  इ , ई , च् , छ् , ज , झ , ञ् , य् , श् ये तालव्य वर्ण कहलाते हैं ।
प्र॰ मूर्धन्य वर्ण किसे कहा जाता है?
उत्तर - जिन वर्णों का उच्चारण स्थान मूर्धा है उन्हें मूर्धन्य वर्ण कहा जाता है।
 ट् ,ठ्, ड् , ढ् , ण ,ऋ , र् , ष्, इन्हें मूर्धन्य वर्ण कहा जाता है।
प्र॰ दंत्य वर्ण किसे कहा जाता है?
उत्तर - जिन वर्णों का उच्चारण स्थान दंत है उन्हें दंत्य वर्ण कहा जाता है।
त् , थ् , द्  , ध् , न् , ल् , स् ये दंत्य वर्ण कहलाते हैं ।
प्र॰ ओष्ठ्य वर्ण किसे कहा जाता है?
उत्तर - जिन वर्णों का उच्चारण स्थान ओष्ठ है उन्हें ओष्ठ्य वर्ण कहा जाता है।
उ , ऊ , प , फ , ब् , भ , म् ये ओष्ठ्य वर्ण कहलाते हैं ।
प्र॰ कंठोष्ठ्य वर्ण किसे कहते हैं?
उत्तर- जिनका उच्चारण कंठ और ओष्ठ दोनों से होता है । उन्हें कंठोष्ठ्य वर्ण कहते हैं ।
यथा - ओ , औ ।
प्र॰ दंतोष्ठ्य वर्ण किसे कहते हैं?
उत्तर- जिनका उच्चारण दंत और ओष्ठ दोनों से होता है । उन्हें दंतोष्ठ्य वर्ण कहते हैं ।
यथा - व ।

प्र॰ स्वरों की मात्राएँ क्या है? 
उत्तर- व्यंजनों के उच्चारण के लिए उनके साथ स्वर वर्ण जिस रूप में जुड़ता है, उसे स्वर की मात्रा कहते हैं। 
प्र॰ स्वर के सभी मात्राओं को लिखें। 
उत्तर- 
स्वर - मात्रा - व्यंजन के साथ स्वर - उदाहरण
  अ - नहीं है-  क् + अ = क         - कल
 आ -     ा     -  क् + आ=का        - काम
  इ -     ि      -   क् + इ = कि        - किस
  ई  -     ी    -   क् + ई = की        - कील
  उ  -     ु     -   क् + उ = कु         - कुछ
  ऊ -     ूूू      -   क् + ऊ = कू         - कूट
  ऋ -   ृ      -   क् + ऋ = कृ        - कृष
   ए -     े      -   क् + ए = के         - केश
   ऐ -     ै      -   क् + ऐ = कै         - कैसा
  ओ -   ो      -   क् + ओ = को      - कोष
  औ -   ौ      -   क् + औ = कौ      - कौन







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